Gulzar Quotes in Hindi on Life, Dosti, Love, Zindagi and Relation for {2023} | गुलज़ार साहब की कुछ प्यारी पंक्तियाँ

Gulzar Quotes in Hindi on Life – गुलज़ार साहब बहुत महान लेखक हैं और हम उसके द्वारा लिखी गयी कुछ Gulzar Quotes in hindi, Gulzar Shayari in hindi, Gulzar poems in hindi, Gulzar poetry in hindi, लेकर आये है जो आपको बहुत पसंद आएंगे |

Gulzar Quotes in Hindi

Gulzar Quotes in Hindi | गुलज़ार साहब की कुछ प्यारी पंक्तियाँ

काई सी जम गई है आँखों पर,
सारा मंज़र हरा सा रहता है।

उसी का इमान बदल गया है,
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था।

उसे ये ज़िद है कि मैं पुकारूँ,
मुझे तक़ाज़ा है वो बुला ले।

जैसे कहीं रख के भूल गए हों,
बेफिक्र वक्त अब मिलता ही नही।

नाम होते हैं रिश्तों के,
कुछ रिश्ते नाम के होते हैं।

सहर न आई कई बार नींद से जागे,
थी रात रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले।

आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं,
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ।

हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं तोड़ा करते।

अब ज़रा सी भर गई हो तुम,
ये वजन तुम पर अच्छा लगता है।

आईना देख के तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।

छोटी-छोटी बातों की हैं यादें बड़ी,
भूले नहीं, बीती हुई एक छोटी घड़ी।

जिस की आँखों में कटी थी सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है।

कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया,
जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की।

तेरी राहों में हर बार रुक कर,
हम ने अपना ही इन्तज़ार किया।

शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है।

सेह़मा सेह़मा ड़रा सा़ रहता है,
जा़ने क्यों जी़ भ़रा सा़ रहता है।

अगर आँसुओ की किम्मत होती,
तो कल रात का तकिया अरबों का होता।

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है।

उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर,
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले।

आदतन तुम ने कर दिये वादे,
आदतन हम ने ऐतबार किया।

जाना किसका ज़िक्र है इस अफ़साने में,
दर्द मज़े लेता है जो दुहराने में।

काश इक बार कभी नींद से उठकर तुम भी
हिज्र की रातों में ये देखो तो क्या होता है।

यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता,
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता।

कभी तो चौंक कर देखे कोई हमारी तरफ,
किसी की आँख मे हमको भी इंतज़ार दिखे।

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ,
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की।

ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है,
उन की बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी।

सिर्फ आवाज देने से ही कारवां नहीं रुका करते,
देखा ये भी जाता है कि पुकारा किसने है।

मुस्कुराने से शुरू और रुलाने पर खत्म,
ये वो जुर्म हैं जिसे लोग मोहब्बत कहतें हैं।

क़िताबें माँगने, गिरने, उठाने के बहाने जो रिश्ते बनते थे,
अब उनका क्या होगा, वो शायद अब नही होंगे।

तुम्हारा क्या तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी,
मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है।

एक उम्मीद बार बार आ कर, अपने टुकड़े तलाश करती है,
बूढ़ी पगडंडी शहर तक आ कर, अपने बेटे तलाश करती है।

वो एक दिन एक अजनबी को, मेरी कहानी सुना रहा था,
वो उम्र कम कर रहा था मेरी, मैं साल अपने बढ़ा रहा था।

जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
हम सीख न पाये ‘फरेब’ और दिल बच्चा ही रह गया।

आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं,
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ।

तेरा चेहरा ही लिये घूमता हूँ, शहर में तबसे,
लोग मेरा नहीं, एहवाल तेरा पूछते हैं, मुझ से।

कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे हैं,
क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है।

आधे पौने पुरे चांद,
जितना था सब माल गया,
बारह महीने जमा किए थे,
जेब काटकर साल गया।

किताबें झाँकती हैं,
बंद अलमारी के शीशों से,
बड़ी हसरत से तकती हैं,
महीनों अब मुलाक़ातें नही होती।

चलो अच्छा हुआ,
जो तुम मेरे दर पे नहीं आए,
तुम झुकते नहीं,
और मै चौखटें ऊंची कर नही पाता।

बड़ी हसरत है पूरा एक दिन इक बार मैं,
अपने लिए रख लूं,
तुम्हारे साथ पूरा एक दिन,
बस खर्च करने की तमन्ना है।

तब मैं जानबूझकर हार जाया करता था,
अब चाह कर भी जीत नहीं पाता हूँ तुमसे,
पता नहीं कौन सी चाल पर,
देखते ही देखते मैं मात खा जाऊँ,
ये डर तो लगता है ज़रूर,
पर मैं ख़ुश हूँ कि तुम खेलना सीख गये।

कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम,
सादे काग़ज़ पे लिखके नाम तेरा,
बस तेरा नाम ही मुकम्मल है,
इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी।

नोट :- दोस्तों नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके आप Telegram channel को Join कर सकते हैं

इन्हे भी पड़े………

Leave a Comment