51+ Childhood Quotes In Hindi | बचपन की यादें | Free Status

Childhood Quotes In Hindi : नमस्कार दोस्तों आज हम लेकर आये है Childhood Quotes In Hindi दोस्तों, बचपन के दोस्तों की कुछ अलग ही बात होती है साथ में रहना, खेलना ,साथ रहना आदि है इसलिए हम आपके लिए बचपन के यादकर पल के लिए यह आर्टिकल लेकर आये हैं

Childhood Quotes In Hindi

Childhood Quotes In Hindi

बचपन की कहानी थी बड़ी सुहानी,
बचपन में रह जाता, नहीं आनी थी जवानी।

बचपन में स्कूल के टेबल को बजाना,
टीचर के ना होने पर गाना गाना,
इतना आसान नहीं है,
उन हसीन लम्हों को भूल जाना।

बचपन में न चिंता थी और न फिक्र,
अब रहता है करियर का डर।

वो दिन कितने अच्छे थे,
जब हम बच्चे थे।

बचपन की हंसी कहीं गुम हो गई है,
शायद बड़े होने के सफर में पीछे रह गई है।

बचपन की दोस्ती सच्ची थी,
मतलब पता नहीं था, पर अच्छी थी।

बचपन के दोस्त आज भी साथ हैं,
मेरे सभी दोस्त मेरे लिए खास हैं।

मेरा पूरा दिन खेल में बीतता था,
बचपन के दिनों को खुलकर जीता था।

पिता के कंधों पर बैठकर गांव घूमा,
बड़े होने पर बचपन को शहर की सड़को पर ढूंढा।

अब वक्त आ चुका है स्कूल की सुनहरी यादों में खोने का।

काश लौट आए बचपन के वो दिन,
जब गुजरते थे मस्ती में पूरे दिन।

टेबल में कौन साथ बैठेगा,
इस बात पर लड़ा करते थे,
टीचर के सवाल का जवाब न देने पर,
हाथ उठाकर खड़े हुआ करते थे।

स्कूल में सब होम वर्क नकल करते थे,
बेस्ट फ्रेंड के लिए दूसरे से लड़ते थे,
स्कूल की लड़ाई दूसरे दिन भूल जाते थे,
फिर सभी आपस में दोस्त बन जाते थे।

बेल बजने से पहले स्कूल से निकलने के लिए तैयार हो जाते थे,
मम्मी-पापा से पैसे लिए बिना स्कूल नहीं जाते थे।

कभी-कभी स्कूल में मन नहीं लगता था,
पर दोस्तों की वजह से स्कूल जाता था,
स्कूल के दोस्तों के साथ ही मैं,
खुद को हमेशा खुश पाता था।

सुबह उठकर तैयार रहता था,
स्कूल बस आने की राह देखता था,
बचपन को मैंने अपने,
काफी खुश रहकर जिया था।

स्कूल से ही किताबों से दोस्ती है,
सब कुछ किताबों से ही सीखा है,
किताबों की मदद से ही मैंने,
अपना नसीब खुद से लिखा है।

स्कूल के यार अब भी साथ हैं,
उनका प्यार अब भी मेरे पास है।
स्कूल की किताबों में मन नहीं लगता था,
पढ़ाई करने के लिए रातों को नहीं जगता था,
अब सारी-सारी रात रिसर्च पेपर पढ़ता हूं,
पर बीच-बीच में बचपन की यादों में खो जाता हूं।

साइकिल से स्कूल जाते हुए मस्ती करना,
एक-दूसरे की साइकिल को खींचते हुए लड़ना,
बहुत ही हसीन वक्त था वो भी,
अब तो उन यारों से बहुत कम होता है मिलना।

बचपन का वो खिलखिलाना
दोस्तों से लड़ना, रूठना, मनाना..

कुछ यूं कमाल दिखा दे,, ऐ जिंदगी !
वो बचपन ओर बचपन के दोस्तो
से मिला दे ऐ जिंदगी..

वो बचपन भी क्या दिन थे मेरे..
ना फ़िक्र कोई,ना दर्द कोई..
बस खेलो, खाओ, सो जाओ..
बस इसके सिवा कुछ याद नही..

कोई तो रुबरु करवाओ,,
बेखोफ़ हुए बचपन से,,,
मेरा फिर से बेवजह
मुस्कुराने का मन है.

बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर
आँख बिस्तर पर ही खुलती थी..

वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है,,
बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है..

ना कुछ पाने की आशा, ना कुछ खोने का डर,,
बस अपनी ही धुन, बस अपने सपनो का घर,,
काश मिल जाए फिर मुझे, वो बचपन का पहर..

स्कूल के दिनों में काफी सुकून था,
काम ने सब सुकून छीन लिया है,
जीवन के सभी पलों में,
सबसे अच्छा बचपन का पल जिया है।

मम्‍मी की गोद और पापा के कंधे,,
ना पैसे की सोच और ना लाइफ के फंडे,
ना कल की चिंता और ना फ्यूचर के सपने,
अब कल की फिकर और अधूरे सपने,
मुड़ कर देखा तो बहुत दूर हैं अपने,
मंजिलों को ढूंडते हम कहॉं खो गए,
ना जाने क्‍यूँ हम इतने बड़े हो गए..

गुम सा गया है अब कही बचपन,,
जो कभी सुकून दिया करता था..

तभी तो याद है हमे
हर वक़्त बस बचपन का अंदाज
आज भी याद आता है..

बचपन जब तक था तब तक सिर्फ इतना पता था की सिर्फ खिलौनो से खेला जाता है, बड़े हुए तो जाना भावनाओं से भी किसी की खेल सकते है।

जब तक बच्चे थे बोझ के डर से कोई सामान तक नहीं उठाने देता था, थोड़े बड़े क्या हुए घर की सारी ज़िम्मेदारियों का बोझ मेरे कंधो पर डाल दिया।

कल की फ़िक्र करने का वक़्त ही कहाँ था, मुझे तो बस छत पे पतंग उड़ाने के वक़्त की फ़िक्र थी।

आज भी रविवार हर रविवार को आता है पर पहले जैसा बच्चों का झुण्ड पार्क में दिखाई नहीं देता।

पूरा दिन काम कर जेब उस बच्चे की चिल्लर से भरी हुई थी पर उसे खाने का वक़्त नहीं मिला इसलिए पेट खाली था।

अगर ज़िन्दगी मौसमों का संगम है तो बचपन इसमें सबसे छोटा और सबसे सुहाना मौसम है।

आज कल हर बच्चे पर ऐसे बोझ बना रखा है, जैसे सबसे पहले वही बड़ा होने वाला है।

जाने कब बीत गए वो दिन बचपन के ना खबर हुई ना सबर हुआ।

इंसान जब बच्चा होता है तब शैतानियां कर के भी मासूम कहलाता है, पर जब बड़ा होता है तब मासूम रह कर भी शैतान कहलाता है।

बचपन भी सब बच्चों का एक सा नहीं होता एक बच्चा कंचे खेलने जा रहा है, तो दूसरा कंचों के कारखाने जा रहा है।

दो बच्चे, दोनों की उम्र एक पर दास्ताँ अलग, एक बच्चा खाना कूड़े में फेंक रहा है और एक बच्चा कूड़े से खाना ढूंढ कर खा रहा है।

कमाल होता है उन गरीब बच्चों का बचपन भी वो चलना सीखते ही घर चलाना सीख लेते हैं।

चंद्रयान चाँद पर बैठा हुआ है और मेरे देश का बच्चा विद्यालय की कक्षाओं को छोड़ कर दूकान पर बैठा हुआ है।

उस बच्चे का तो बचपन भी जाया है जिसके नन्हे सर पर गरीबी का साया है।

बच्चों की आँखों ने ख़्वाब देखना बंद कर दिया है, अब उनके सपने मोबाइल ही पूरे कर देता है।

बचपन का सुकून आज भी याद आता है, माँ के हाथों का खाना उनके ही हाथों से खाना आज बी याद आता है।

हाल मेरे देश के बच्चों का कोई तो सुधार दो उसे किताब की दूकान पर बैठने से पहले कम से कम पढ़ना तो सीखा दो।

किसने कहा बचपन आज़ाद होता है वो बच्चा अपनी गरीबी के हालातों का गुलाम था।

नाम उस गरीब बच्चे का माँ-बाप ने विजय रखा था, पर अफ़सोस जीत से अभी भी काफी दूर था।

खिलौनों से खेलने की उम्र में उसे हर खिलोने का दाम पता था, कौन कहता है आज कल के बच्चो को पैसे की क़ीमत ही नहीं जानते।

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